क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग 17
दादी अंजली की तारीफ सुन मुँह बिगाड़ती हुयी कहती हैँ " बस कर चुक अपनी बेटी के गुणगान "
अंजली अंदर लाकर मोबाइल को खोलती और देखती कितना प्यारा मोबाइल है । वो उसे खोलती है उसके अंदर एक पर्ची रखी होती है जिस पर अमित का नंबर लिखा होता है। अंजली सोचती है क्यू ना अमित को फ़ोन किया जाए लेकिन वो शरमा रही होती है ।
काफी देर सोच विचार करने के बाद जैसे ही वो नंबर लगाती तभी बाहर से उसके पिता की आवाज़ आती " अंजली बिटिया खाना लग गया है आ कर खाना खा लो "
पि,,,,,, पि,,,,,, पिता जी आयी । अंजली ने घबरा कर फ़ोन रख दिया और दौड़ती हुयी बाहर आ गयी ।
सब लोग खाना खाते है । और उसके दादी बाहर पड़ी खाट पर लेट जाती और दुर्जन भी अपनी अम्मा के पास ही पड़ी खाट पर सौ जाता है ।
अंजली बार बार मोबाइल को देखती और सोचती फ़ोन करने का लेकिन उसे डर लग रहा था । इसी कश्मकश में उसकी आँख लग गयी और सौ गयी ।
उधर अमित के घर वाले अपने घर जा चुके थे । अमित रोज़ रात को अंजली के फ़ोन का इंतज़ार करता और सौ जाता इस उम्मीद में की शायद अंजली कल उसे फ़ोन करे ।
अगली सुबह दरवाज़े पर एक बच्चा आता और बताता मंजू दीदी अंजली दीदी को बुला रही है ।
मंजू के मायके आने की खबर सुन अंजली की ख़ुशी का ठिखाना ना था वो तुरंत तैयार हो कर घर से जाने लगी
" अब ध्यान रखयो वो तेरी जेठानी है ना की दोस्त कुछ ऐसा वैसा मत कर बैठना " दादी ने टोकते हुए कहाँ
ओह हो! दादी अभी तो वो मेरी सहेली है जेठानी तो बाद को बनेगी अंजली ने कहाँ और चली गयी
मंजू के घर पहुंच कर ।
"अंजली मेरी दोस्त केसी है मुझे तुझसे बहुत सारी बाते करनी है चल अंदर चलते है ।" मंजू ने अंजली को गले लगाते हुए कहाँ
" अम्मा दो कप चाय बना दो मेरे और अंजली के लिए ढेर सारी बाते करनी है आज हम दोनों को " मंजू ने अपनी माँ से कहाँ और अंदर कमरे में चली गयी दोनों
"आह! मेरा कमरा कितना याद किया मेने तुझे मेरा बिस्तर मेरा तकया जिस पर सिर रख कर मैं सोती थी " मंजू ने कहाँ
"तू यहाँ मुझे इस लिए लायी है अपने कमरे में रखी चीज़े दिखाने " अंजली ने कहा
" अरे नही नही वो तो बस ऐसे ही मुँह से निकल गया " मंजू ने कहाँ
" अच्छा ये बता ससुराल में सब कैसे है , सास ससुर और जीजू " अंजली ने पूछा
" सब बहुत अच्छे है सासु माँ भी ,पापा जी भी । पापा जी तो मुझे अपनी बेटी ही मानते है । और सास भी अच्छी है । और राकेश भी । सब मेरा ख्याल रखते है। " मंजू ने कहा
"मैं बहुत खुश हूँ ये जानकर कि तू अपने ससुराल में खुश है "अंजली कहती है
"तू बता तेरी शादी कि तैयारी केसी चल रही है , सच में अमित बहुत अच्छा लड़का है तू उसके साथ बहुत ज्यादा खुश रहेगी और उसके माता पिता भी बहुत अच्छे है । देखना तू राज करेगी वहा पर भगवान ने चाहा तो " मंजू अंजली को गले लगाती हुयी कहती है
अंजली शरमा जाती है ।
" मुझे तो यकीन ही नही हो रहा है कि मेरी शादी हो रही है वो भी उस लड़के के साथ जिसे मेने पसंद किया " अंजली कहती है
"हो जाएगा यकीन जब तेरी भी शादी हो जाएगी " मंजू कहती है
"मुझे तुझे कुछ दिखाना है " अंजली कहती है
क्या? मंजू ने पूछा
अंजली ने अपना मोबाइल मंजू को दिखाया
"वाओ! कितना प्यारा मोबाइल है , ज़रूर अमित ने दिया होगा अच्छा तो अब ख़त के बजाये सीधा मोबाइल से बात हो रही है । ला जरा देखु तो कितने कितने घंटे बात कर रहे हो तुम दोनों मोबाइल पर " मंजू ने कहाँ
ये कह कर मोबाइल में देखने लगी ।" अरे! ये क्या यहाँ तो कुछ है ही नही क्या तू बात नही कर रही अमित से"मंजू ने पूछा
अंजली " नहीं जैसा तू समझ रही है वैसा कुछ नहीं है मेने तो अमित जी से फ़ोन लेने से भी मना कर दिया था लेकिन वो ज़बरदस्ती दे गए । लेकिन मेने उनसे कह दिया था कि मैं पिताजी को बता दूँगी क्यूंकि अभी तक तो ख़त वाली बात ही मेने पिताजी से छिपायी है "
" तो तूने बात कि काका से क्या बोले वो " मंजू ने पूछा
"मेने उनसे कहा है कि ये फ़ोन अमित जी ने इस लिए दिया है ताकि शादी के दिनों में हमारे घर वालो को कुछ बात करनी हो तो वो सीधे सीधे हम लोगो से बात कर सके नाकी किसी और को परेशान करे " अंजली कहती है
"अरे! मेरी गाय जैसी सीधी साधी दोस्त वो अब तेरा होने वाला पति है तो उससे बात करने में केसी शरम , ला मुझे दे उसका नंबर में करवाती हूँ तेरी बात उससे वो बेचारा इंतज़ार करता रहता होगा तेरी कॉल का और इधर महारानी जी कि शरम ही ख़तम नहीं हो रही " मंजू ने कहा
अंजली ने पहले तो मना किया बात करने से लेकिन मंजू ने जबरदस्ती अमित को फ़ोन लगा दिया।
अमित के पास अंजली का नंबर सेव था पहले से ही। मोबाइल पर उसका नाम देख उसके चेहरे पर मुस्कान आयी और उसने तुरंत फ़ोन काट कर दोबारा किया और बोला
"हेलो! अंजली कितना समय ले लिया तुमने फ़ोन करने के लिए में हफ्ते भर से तुम्हारे फ़ोन का इंतज़ार कर रहा था और अब जाकर तुमने मुझे फ़ोन किया "
"ये साहबजादी तो अब भी तुम्हे फ़ोन नहीं करती वो तो मेने जबरदस्ती कर के तुम्हारा नंबर इससे लिया और तुम्हे फ़ोन लगाया अमित " मंजू ने फ़ोन पर कहा
"अरे! भाभी आप , आप कब मायके गयी शुक्र है कि आपकी वजह से मेरे इस मोबाइल पर अंजली का फ़ोन तो आया मेने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी पिछले एक हफ्ते से सुबह शाम इंतज़ार करता था कि शायद किसी समय फ़ोन आ जाए लेकिन हफ्ते भर से मुझे निराशा ही हाथ लगी "अमित ने फ़ोन पर कहा
"अब निराशा हाथ नहीं लगेगी अब मैं जो आ गयी हूँ ये लीजिये बात कीजिये अपनी अंजली से " मंजू ने अंजली को फ़ोन देते हुए कहा
"हेलो! नमस्ते " अंजलि ने कहा
"नमस्ते जी नमस्ते ! धन्य भाग हमारे जो इस जन्म में आपकी आवाज़ सुनने का सौभाग्य प्राप्त हो सका । केसी है आप । घर पर काका और दादी केसी है " अमित ने पूछा
" अंजली शरमाते हुए , मैं ठीक हूँ और घर पर भी सब कुशल मंगल है मैं आशा करती हूँ उधर भी सब मंगल होगा " अंजली ने कहा
" जी इधर भी सब कुशल मंगल है बस आपको लाने कि तैयारी चल रही है और मैं दिन काट रहा हूँ एक एक करके " अमित ने कहा
" उसकी ये बाते सुन अंजली मुस्कुराने लगती है " तभी दरवाज़े पर मंजू कि माँ आती और कहती दरवाज़ा खोलो मंजू चाय लेलो
ये आवाज़ सुन मंजू घबरा जाती और अंजली कहती मैं फ़ोन रख रही हूँ दरवाज़े पर कोई आया है ।
" दरवाज़े पर भी अभी ही आना था किसी को। चलो मैं तुम्हे शाम को फ़ोन करूंगा जब सब सौ जाएंगे " अमित कहता है
अंजली फ़ोन रख देती है ।
अरे माँ आप। मंजू ने घबरा कर कहा
"हाँ मैं चाय लायी थी और तुम दोनों दरवाज़ा बंध करके क्या कर रही थी " मंजू कि माँ ने पूछा
""क,,,, क,,,,,, काकी जी वो तो बस ऐसे ही बंध कर लिया था दरवाज़ा हमने वो क्या है ना हमारी आवाज़ बाहर ना चली जाए कही इस लिए दरवाज़ा बंध कर लिया था हमने "" अंजली ने घबराते हुए कहा
"चलो अच्छा चाय पी लो " मंजू कि माँ ने चाय रखी और चली जाती है
" मंजू कि बच्ची तूने मरवा देना था अभी काकी के हाथो से " अंजली ने कहा
ओह हो! चमक तो देखों चेहरे पर अपने होने वाले पति से बात करने के बाद मंजू ने अंजली को परेशान करते हुए कहा
"चल अच्छा मैं चलती हूँ दोपहर होने आयी है खाना भी बनाना है जाकर " अंजली कहती है
" खाना बनाना तो सिर्फ एक बहाना है, दरअसल बात तो कुछ और है । अब तो अमित जी ही नज़र आएंगे हर जगह अब हमें थोड़ी पूछा जाएगा " मंजू ने चुटकी लेते हुए कहा
" जो तू समझें , मैं तो चली " अंजली कहती हुयी कमरे से बाहर निकली
" अरे चाय तो पीती जा" मंजू ने कहा
"तू पीले मेरे बदले कि और हाँ घर ज़रूर आना ससुराल जाने से पहले " अंजली ये कह कर वहा से घर आ गयी।
वही दूसरी तरफ दुर्जन खेत पर बैठा साहूकार का इंतज़ार कर रहा था । और अपने खेतो को आखिरी बार निहार रहा था ।
थोड़ी देर बाद साहूकार कि गाड़ी आ जाती है।
साहूकार गाड़ी से उतरकर " ऐ हरिया कुर्सी ला हमरे लिए "
हरिया जो साहूकार का ड्राइवर है भागता हुआ कुर्सी लाता है ।
" इ लीजिये मालिक " हरिया ने कहा
प्रणाम मालिक। दुर्जन ने कहा
" इ खेत है तोरा देखने में तो बंजर लागे है " साहूकार ने हाथ में मिट्टी उठाते हुए कहा
"नही मालिक बंजर कैसे हो सकती है सालो से हम एकरे उपर खेती करवत है और भी देखलीजिये फसल लेहलाहा रही है "" दुर्जना ने घबराते हुए कहा।
" चल ठीक है तू कहता है तो मान लेता हूँ " साहूकार ने कहा
शुक्रिया मालिक दुर्जन बोला
"ए हरिया जरा नाप कर तो ला सारा खेत , मैं भी तो देखु कितना बड़ा खेत है " साहूकार ने कहा
थोड़ी देर बाद हरिया खेत नाप लाता और बताता कि खेत कितना बड़ा है और साहूकार के कान में कहता कि खेत कि मिट्टी सोना उगलने वाली मिट्टी है इस पर जो बोया जाएगा वो उग आएगा मालिक मेरी माने तो सस्ते में सौदा करे । इसकी कहा औकात कि यह दोबारा अपनी ज़मीन को हासिल कर पायेगा आधी उमर तो गुज़र चुकी है इसकी बाकी आधी ब्याज और कर्ज़ा देते देते गुज़र जाएगी। बेटा कोई है नहीं इसका एक बेटी है जो शादी करके शहर चली जाएगी। ज़मीन लोट फेर कर आपकी ही रहेगी ।
साहूकार उसकी बात सुन कर कहता है " देख भाई जो भी तेरा नाम है तेरी ज़मीन हमने देख ली है , बरसात कि कमी कि वजह से इसकी नमी चली गयी है जिसके लिए मुझे मजदूर लगाकर इसमें नदी से पानी देना होगा तब कही जाकर यह उपजाऊ बनेगी । इसलिए में तुझे पांच लाख रूपये देता हूँ इस ज़मीन के और बाकी ब्याज लगेगा हर महीने ।
अगर मंजूर है तो कागजात देदे और पैसे लेले "
दुर्जन बेचारा मजबूर था उसके पास पैसे लेने का कोई दूसरा तरीका नहीं था इस लिए उसने बिना सोचे समझें हाँ कहदी और पैसे लेकर कागज़त साहूकार के मुनीम के हवाले कर दिए । जिस समय वो कागजात मुनीम को दे रहा था उसे लगा मानो वो अपने शरीर से आत्मा निकाल रहा हो।
साहूकार चला जाता है । लेकिन दुर्जन दिन भर वही खेत पर बैठा रोता रहता है । धीरे धीरे शाम हो जाती लेकिन दुर्जन वही बैठा रहता है ।
" दादी पिताजी नहीं आये अभी तक खेत से "" अंजली ने पूछा
" क्या मालूम मुझे क्यू नहीं आया , तेरे खातिर ही कही दर बदर फिर रहा होगा मेरा बेटा? " दादी ने गुस्से में कहा
अंजली अपना सा मुँह लेकर रह जाती है ।
दुर्जन जब एहसास होता की चारो और विकराल अंधकार फेल चूका है तब वो आखिरी बार खेत से विदा लेते हुए घर आ जाता
" पिताजी आप कहा रह गए थे मैं कितना परेशान हो गयी थी " अंजली ने दुर्जन को गले लगाते हुए कहा
" अरे मेरी बच्ची , बस खेत पर लेट गया था मैं और जब आँख खुली तो देखा चारो और अंधकार फेल चूका तब दौड़ा दौड़ा घर की और भाग आया , जाओ मेरे लिए और अपनी दादी कैसे लिए चाय बनाओ " दुर्जन ने कहा
कहा गया था तू ? क्या माँ से भी झूठ कहेगा ? अम्मा ने पूछा
" अम्मा खेत से आ रहा हूँ आख़री बार विदा करके क्यूंकि आज साहूकार आया था और वो ज़मीन के कागजात ले गया अपने साथ और बदले में पांच लाख रूपये दे गया " दुर्जन कहता है
"क्या पांच लाख रूपये? हे! भगवान शुकर है तेरा की साहूकार मान गया और पैसे दे दिए उसने " अम्मा ने कहा
" अब बता अम्मा क्या करू इन पेसो का
? " दुर्जन ने पूछा
" बेटा यह पैसा मुझे देदे मैं अपने पास संभाल कर रखलू और फिर सोच कर बताती हूँ की पहले कौन सा काम ज़रूरी है । " अम्मा कहती है
"ठीक है अम्मा जैसा तुझे सही लागे " दुर्जन कहता
"यह लीजिये पिता जी चाय " अंजली ने चाय देते हुए कहा
"जीती रहे मेरी बच्ची " दुर्जन ने आशीर्वाद देते हुए कहा
Shnaya
07-Apr-2022 12:19 PM
Very nice👌
Reply
Abhinav ji
05-Apr-2022 09:22 AM
Nice👍
Reply